साधक की साधना में मन्त्र सिद्ध हो जाने के लक्षण !

मंत्र सिद्धि होने से साधक में जो लक्षण प्रकट होते हैं उनके विषय में शास्त्रकारों ने कहा है- “हृदये ग्रन्थि भेदश्च सर्व्वाय व वर्द्धनम्। आनन्दा श्रुणि पुलको देहावेशः कुलेश्वरी॥ गद्गदोक्तश्च सहसा जायते नात्र संशयः॥” (तंत्र सार) अर्थात्- “जप के समय हृदय ग्रन्थि भेद, समस्त अवयवों की वृद्धि, देहावेश और गदगद कण्ठ भाषण आदि भक्ति के चिन्ह प्रकट होते हैं, इसमें सन्देह नहीं। और भी अनेक प्रकार के चिन्ह प्रकट होते हैं।”…

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