श्री महाकाली सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ का महत्व !

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श्री महाकाली सहस्रनाम का पाठ रात्रि मे करने से समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलता है । महाकाली सहस्त्रनाम का पाठ सामान्य जन के लिए अमृत स्वरुप और हर समस्या का रामबाण इलाज है |

‘भैरव-तन्त्र’ के अनुसार साधक को अपनी साधना की पूर्णत: निर्विघ्न सिद्धि के निमित्त महाकाली देवी की उपासना करनी चाहिए । भगवती महाकाली ही तंत्रों के प्रवर्तक भगवान सदाशिव की आह्लादिनी शक्ति हैं । महाकाली देवी के कृपा-कटाक्ष बिना अघोरेश्वर शिव भी साधक को उसका वांछित वर देने में असमर्थ हो जाते हैं।

‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ (गणपति खण्ड) में परशुरामजी द्वारा शिवजी की आज्ञा से महाकाली देवी को प्रसन्न करने हेतु बार-बार स्तुति करने का वर्णन मिलता है । शिवजी द्वारा प्रदत्त‘महाकाली सहस्रनाम’ पूर्णत: सिद्ध है । इसका पाठ करने के लिए पूजन, हवन, न्यास, प्राणायाम,ध्यान, भूत-शुद्धि, जप आदि की कोई आवश्यकता नहीं है । भगवान सदाशिव ने परशुरामजी से इस पाठ के प्रभाव का वर्णन करते हुए कहा है कि इस पाठ को करने से साधक में प्रबल आकर्षण शक्ति उत्पन्न हो जाती है, उसके कार्य स्वत: सिद्ध होते जाते हैं, उसके शत्रुगण हतबुद्धि हो जाते हैं तथा उसके सौभाग्य का उदय होता है ।

“शाक्त तंत्र” सर्वसिद्धिप्रद है जिसमे करकादी स्तोत्र और महाकाली सहस्त्रनाम का पाठ अत्यन्त तीक्ष्ण प्रभावशाली बताया गया है ।

‘ महाकाली-सहस्रनाम’ का पाठ करने की अनेक गुप्त विधियाँ हैं, जो विभिन्न कामनाओं के अनुसार पृथक पृथक हैं और ये विधियाँ गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त होती हैं । इस चमत्कारी एवं स्वयंसिद्ध ‘महाकाली सहस्त्रनाम’ का पाठ सिर्फ रात्रि मे ही करना अनुकुल माना जाता है । क्योंकि रात्रि में महाविद्याओ कि समस्त शक्तियाँ जाग्रत होती है और उन्हे साधक प्रसन्न करके मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकता है ।

सर्वप्रथम लाल रंग के वस्त्र पर भगवती महाकाली जी का चित्र स्थापित करें । साधक स्वयं लाल वस्त्र धारण करे और लाल आसन का ही प्रयोग करे । हाथ मे किसी भी प्रकार का लाल पुष्प लेकर अपनी कामना बोलकर पुष्प को भगवती महाकाली के चरणों मे समर्पित करें । दक्षिण दिशा मे मुख करके पाठ करने से समस्त प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, पश्चिम दिशा मे मुख करके पाठ करने से दारिद्रता नष्‍ट हो जाती है, पूर्व दिशा मे मुख करके पाठ करने से वाचा सिद्धि प्राप्त होती है और उत्तर दिशा मे मुख करके पाठ करने से भगवती महाकाली का सानिध्य प्राप्त करना सम्भव हो सकता है ।